एक कोशिश
एक कोशिश <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-7373824969734556" crossorigin="anonymous"></script> एक कोशिश फिर से कर लेता हूँ, गिरकर भी मैं संभल लेता हूँ। हर ठोकर को राह बनाकर, खुद को फिर खड़ा कर लेता हूँ। थोड़ा मुश्किल, थोड़ा आसान, जीवन का हर मोड़ है अनजान। पर हौसलों की लौ जलाकर, हर अंधेरे को ढल लेता हूँ। सपने अगर बिखर भी जाएँ, तो उन्हें फिर से बुन लूँगा। हार नहीं, सबक समझकर, फिर से नया सफर चुन लूँगा। एक कोशिश और कर लेता हूँ, हर दर्द को सह लेता हूँ। मंज़िल चाहे दूर ही सही, रास्ता खुद ही तय कर लेता हूँ।