The memories of nelson mandela
एक बार नेल्सन मंडेला एक बार एक रेस्टोरेंट में भोजन करने गये. उनके साथ उनके सुरक्षाकर्मी भी थे. इस समय मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बन चुके थे. मंडेला जाकर एक टेबल पर बैठ गये और भोजन का आर्डर देकर भोजन का इंतजार करने लगे. पास ही की एक टेबल पर एक व्यक्ति बैठा हुआ था जो मंडेला को देखकर काँप रहा था और उनसे नजरें चुरा रहा था. मंडेला ने अपने सुरक्षाकर्मी से कहा उसे भी यहाँ बुला लो वह अकेला बैठा हुआ है. सुरक्षाकर्मियों ने उसे भी बुला लिया. खाना आया सभी ने खाना शुरू किया. वह व्यक्ति भी डरते हुए चुपचाप नीचे मुँह कर भोजन करता रहा और भोजन समाप्त कर चुपचाप वहाँ से चला गया. उसके जाने के बाद एक सुरक्षकर्मी ने मंडेला से कहा कि वह आपके राष्ट्रपति होने के कारण सम्मानवश आपसे डरा हुआ था. मंडेला ने कहा ऐसा नहीं है. रंगभेद विरोधी आंदोलन के दौरान मैं जिस जेल में बंद था वह उस जेल का जेलर था. वहाँ मूझे काफी यातनाएँ दी जाती थीं. जब कभी मूझे प्यास लगती और मैं पानी की माँग करता तो वह मेरे मुँह में पेशाब कर देता था. उसे लगा मैं भी उसके साथ वही व्यवहार करूँगा इसी कारण वह काँप रहा था और उसकी निगाहें झुकी हुई थीं.
शिक्षा - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए कि बाद में हमें शर्मिंदा होना पड़े. महान व्यक्तियों और साधारण व्यक्तियों में यही अंतर होता है. श्री नेल्सन मंडेला रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन के कारण 27वर्षों तक जेल में बंद रहे. उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है.
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