गोल्डन गर्ल विल्मा रुडोल्फ GOLDEN GIRL VILMA RUDOLF


 विल्मा रुडोल्फ की कहानी 

                           विल्मा रुडोल्फ की कहानी हमें जीवन में कभी हार ना मानने के लिये प्रेरित करती है. विल्मा रुडोल्फ का जन्म अमेरिका के टेनेंसी में एक गरीब परिवार में हुआ था. मात्र 4 साल की उम्र में विल्मा पोलियो की बीमारी से ग्रसित हो गई. विल्मा की माँ ने उसे कई डॉक्टरों को दिखाया पर वक़्त के साथ सभी डॉक्टरों ने यह कह दिया कि विल्मा बगैर बैसाखियों के जीवन भर नहीं चल पायेगी. 

                           विल्मा ने हार नहीं मानी और 9 साल की उम्र में  बैसाखियों को निकलकर फैक दिया. उसने बिना बैसाखियों के ही चलना शुरू किया. वह इस प्रयास में कई बार गिरी पर उसने हार नहीं मानी वह निरंतर प्रयास करती रही. विल्मा की मेहनत रंग लाई. 13 साल की उम्र में विल्मा ने अपनी पहली रेस में हिस्सा लिया पर वह हार गई. 

                         विल्मा की प्रतिभा को उसके बास्केटबॉल कोच ने पहचाना और उसे एथेलेटिक्स के लिये प्रोत्साहित किया. 1956 में मेलबोर्न ओलिंपिक में विल्मा रिले टीम का हिस्सा थी. जिसमें उसने कांस्य पदक जीता. फिर आया 1960 में रोम ओलिंपिक जिसमें उसने कमाल ही कर दिया. इस ओलिंपिक में विल्मा ने 100 मीटर, 200 मीटर और रिले रेस में स्वर्ण पदक जीता. इस प्रकार एक ऐसी लड़की जो बचपन में पोलियो की बीमारी से ग्रस्त थी ने अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के बल पर जीवन में सफलता हासिल की. 

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